(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "अक्षांश एवं देशान्तर"


अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल


अक्षांश एवं देशान्तर

  •  पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है, जो उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों के ठीक बीच में खींची गई है । विषुवत वृत्त का प्रत्येक बिन्दु दोनों धु्रवों के ठीक बीच में पड़ता है । इस प्रकार यह पृथ्वी को दो बराबर भागों में उत्तर एवं दक्षिण के रूप में विभाजित करता है ।

  •  उत्तरी धु्रव तथा दक्षिणी ध्रुव को आधारभूत संदर्भ बिंदु कहते हैं ।

  •  विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं ।

  •  उत्तरी तथा दक्षिणी धु्रव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को ‘अक्ष’ कहते हैं, जिस पर पृथ्वी घूमा करती है ।

  •  पृथ्वी पर उन दो शीर्ष बिंदुओं को धु्रव कहा जाता है, जिनसे होकर काल्पनिक अक्ष गुजरता है ।

  •  अक्षांश को विषुवत वृत्त से दोनों धु्रवों की ओर अंशों में नापा जाता है । एक अंश (0) के साठ बराबर भाग किए जाते है, तथा प्रत्येक इकाई को एक मिनट (’) कहते हैं । एक मिनट को पुनः साठ बराबर भागें में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक इकाई को एक सेकेण्ड (’) कहा जाता है ।

  •  विषुवत वृत्त ‘0’ अक्षांश को प्रदर्शित करता है । विषुवत वृत्त से, दोनों में से किसी भी धु्रव की दूरी,, पृथ्वी के परिधि का चैथाई भाग  है । यह 360 अंश ( भाग यानी 900 अंश उत्तरी अक्षांश उत्तरी धु्रव को एवं 90 अंश दक्षिणी अक्षांश दक्षिणी ध्रुव को प्रदर्शित करता है ।

  •  इस प्रकार विषुवत वृत्त के उत्तर के सभी अक्षांश ‘उत्तरी अक्षांश’ तथा दक्षिण के सभी अक्षांश ‘दक्षिणी अक्षांश’ कहलाते हैं ।

  •  प्रत्येक अक्षांश के मान के साथ उत्तरी या दक्षिणी लिखा जाता है ।

  •  पृथ्वी पर खीचे गए अक्षांश वृत्तों में विषुवत वृत्त सबसे बड़ा है ।

  •  कर्क वृत्त’ उत्तरी गोलार्द्ध में एक महत्वपूर्ण अक्षांश वृत है । जो विषुवत वृत्त से 23)0 उत्तर (23030 उ.) की कोणीय दूरी पर स्थित है । कर्क वृत्त भारत के लगभग बीचों-बीच पूर्व-पश्चिम दिशा में जाता है ।

  •  ‘मकर वृत्त’ दूसरा प्रमुख अक्षांश वृत्त है, जो विषुवत वृत्त से 23)0 दक्षिण (23030’ द.) की कोणीय दूसरी पर दक्षिणी गोालार्द्ध में स्थित है ।

  •  ‘आर्कटिक वृत्त’ विषुवत वृत्त के दक्षिण में 66)’ दक्षिण (66030’ दक्षिणी गोलार्द्ध) की कोणीय दूरी पर स्थित है ।

  •  कर्क तथा मकर वृत्त के सभी अक्षांशों पर मध्याह्न का सूर्य दिन में कम से कम एक बार ठीक सिर के ऊपर होता है । अतः इस क्षेत्र में सबसे अधिक गर्मी रहती है, इसे ‘उष्ण कटिबंध’ कहते हैं ।

  •  कर्क वृत्त के उत्तर में तथा मकर वृत्त के दक्षिण में मध्याह्न का सूर्य कभी भी ठीक सिर के ऊपर नहीं चमकता । सूर्य की किरणों का कोण धु्रवों की ओर घटता जाता है । इसके फलस्वरूप उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क वृत्त तथा आर्कटिक वृत्त के बीच एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर वृत्त तथा अंटार्कटिक वृत्त के बीच साधारण तापमान रहता है । अतः यहाँ न तो अधिक सदी पड़ती है और न ही अधिक गर्मी । इसी कारण इसे ‘‘शीतोष्ण कटिबंध’ कहते हैं ।

  •  उत्तरी गोलार्द्ध में आर्कटिक वृत्त तथा उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में अंटार्कटिक वृत्त और दक्षिणी ध्रुव के बीच के क्षेत्रों में काफी ठण्ड पड़ती है । इसका कारण यह है कि यहां सूर्य क्षितिज के ऊपर नहीं जाता । सूर्य की किरणें यहाँ काफी तिरछी पड़ती है । इसी कारण इन्हें ‘‘शीत कटिबंध’’ कहते हैं ।

  •  उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली संदर्भ रेखाओं को ही ‘देशान्तर रेखाएं’ कहते हैं । इनके बीच की दूरी ध्रुवों की ओर कम होती जाती है एवं ध्रुवों पर इनके मध्य की दूरी शून्य हो जाती है ।

  •  अक्षांश वृत्तों के विपरीत देशान्तर रेखाओं की लम्बाई बराबर होती है । इसी कारण इनकी गणना में कठिनाई होती है । इसके चलते विश्व के सभी देशों ने सर्वसम्मति से यह तय किया कि लंदन के पास ‘ग्रीनविच वेधशाला से गुजरने वाली देशान्तर रेखा से गणना शुरू की जानी चाहिए । अतः इसे ‘प्रधान मध्याह्न रेखा’ कहते हैं । इस देशान्तर का मान 00 है । इससे 1800 अंश पश्चिमी देशान्तर की गणना की जाती है । यही कारण है कि किसी स्थान े देशान्तर के मान के साथ पूर्व या पश्चिम अंकित किया जाता है ।

  •  पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर धूमती है । अतः ग्रीनविच से पूर्व के स्थानों का समय ग्रीनविच समय से आगे होगा एवं पश्चिम के स्थानों का समय पीछे होगा ।

  •  पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पर पश्चिम के स्थानों का समय पीछे होगा ।

  •  पृथ्वी 24 घण्टे में 3600 देशान्तर घूम जाती है । इसलिए पृथ्वी की धूर्णन की गति 150 देशान्तर प्रति घंटा या 4 मिनट में 1 देशान्तर है ।

  •  जब ग्रीनविच पर दोपहर के 12 बजते हैं, उस समय ग्रीनविच के पूर्व में 150 देशान्तर पर 15 × 4 त्र 60 मिनट यानी 1 घंटा समय आगे रहेगा । किंतु ग्रीनविच के पश्चिम में 150 देशान्तर पर समय ग्रीनविच समय से एक घंटा पीछे होगा ।

  •  किसी स्थान पर जब सूर्य आकाश में सबसे अधिक ऊँचाई पर होता है, उस समय दिन के 12 बजे होते हैं । इस समय को वहां का स्थानीय समय कहते हैं । एक देशान्तर रेखा पर स्थित सभी स्थानों का स्थानीय समय एक ही होता है ।

  •  प्रत्येक देश की एक केन्द्रीय देशांतर रेखा (मानक मध्याह्न रेखा) के स्थानीय समय को ही संपूर्ण देश का मानक समय माना जाता है । भारत में 82) पू. (82’’30’) देशान्तर रेखा को यहां की मानक मध्याह्न रेखा माना जाता है । इस देशान्तर रेखा के स्थानीय समय को सारे देश का मानक समय माना जाता है।

  •  चूंकि कुछ देशों का देशान्तरीय विस्तार अधिक है, इसलिए वहां सुविधा के लिए एक से अधिक मानक समय मान लिए गए हैं । जैसे कि रूप में 11 मानक समय हैं ।

  •  हमारे देश का मानक समय ग्रीनविच मीन टाइम से 5 घण्टे 30 मिनट आगे है ।
     

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