यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 1997

यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 1997

Time Allowed: 3 Hours
Maximum Marks: 300

1. निम्नलिखित में ये किसी एक पर लगभग 300 शब्दों का निबन्ध लिखिए। 100

(क) यात्रा का शैक्षिक महत्त्व
(ख) विद्यार्थी तथा राष्ट्रीय एकता
(ग) वन-सम्पदा तथा उसवे$ लाभ
(घ) ग्रामीण उत्थान
(ङ) जीवन में लम्बी आयु का नहीं, उत्तम कर्मों का महत्त्व है

2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों वे$ उत्तर यथासम्भव अपने शब्दों में लिखिएः 60

यह एक सच्चाई है कि निर्धलों और धनवानों, दोनों में बेकार लोग होते हैं, और परिश्रमी निर्धन तथा कर्मशील धनवान भी होते हैं। अनेक भिखारी इतने सुस्त होते हैं कि जैसे उन्हें दस हजार की वार्षिक आय हो; और कुछ अति भाग्यशाली लोग अपने उद्देश्यों से भी अधिक व्यस्त होते हैं और बाहर बेकार की बातों में कोई रुचि नहीं रखते, क्योंकि व्यस्त और बेकार लोगों वे$ बीच का अन्तर समस्त पदों और स्थितियों वे$ मनुष्यों में मानसिकता तथा अन्य प्रकृति से सम्बद्ध होता है। अमीरों और गरीबों दोनों में एक ऐसा कर्मशील परिश्रमी वर्ग होता है, जो सशक्त और दुखी रहता है दोनों वर्गों में निवु$ष्टतर गलतफहमी उस दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य से उत्पन्न होती है, जब एक वर्ग वे$ बुद्धिमान लोग आदत वश दूसरे वर्ग वे$ मूर्खों वे$ बारे में सामने लगते हैं। यदि व्यस्त धनवान लोग पअने ही वर्ग वे$ बेकार धनवान लोगों की निगरानी करें और उन्हें फटकारें, तो उनमें सब ठीक चलता रहेगा; और यदि व्यस्त निर्घन बेकार निर्धनों पर ध्यान दें और उन्हें बुरा भला कहें, तो भी उनमें सब ठीक ही चलता है। किन्तु प्रायः सब एक-दूसरे वे$ दोषों को जाँचते हैं।
एक परिश्रमी सम्पन्न व्यक्ति बेकार भिखारी वे$ प्रति आक्रोश करता है तथा एक सुव्यवस्थित कार्यशील किन्तु निर्धन व्यक्ति धनवानों वे$ भोग-विलास वे$ प्रति अनुदार होता है। निर्धनों में कोई आचारहीन व्यक्ति ही धनवानों को अपना सहज शत्राु मानता है। और  धनवानों में भी कोई लम्पट व्यक्ति ही निर्धनों वे$ दोषों और गलतियों वे$ लिए अपशब्द प्रयोग करता है।

सामान्य अध्ययन सिविल सेवा मुख्य परीक्षा अध्ययन सामग्री

(क) परिश्रमी धनवान व्यक्ति किस बात से चिढ़ता है? 12
(ख) मेहनती निर्धन मनुष्य को किस बात से चोट पहुँचती है? 12
(ग) दोनों वे$ द्वारा वास्तव में किस बात की उपेक्षा होती है? 12
(घ) धनवानों और निर्धनों में कौन से दो वर्ग मिलते हैं? 12
(ङ) धनवान और निर्धन वे$ बीच किस कारण गलतफहमी उपजती है? 12

प्रदत्त गद्यांश का सार लगभग 200 शब्दों में लिखिए। यथासम्भव सार अपवे$ अपने शब्दों में होना चाहिए। सार-लेखन कार्य आपको दिए विशेष कागज पर कीजिए, तथा बाद में उस कागज को उत्तर पुस्तिका वे$ भीतर सुरक्षित टॉक दीजिए। अपने संक्षेप-लेखन में शब्दों की संख्या भी लिखिए। 60

टिप्पणीः यदि आपका सार-संक्षेप निश्चित विस्तार से अधिक बड़ा या छोटा होगा, तो अंक काटे जाएँगे।

प्रत्येक सभ्य समाज सहयोग और पारस्परिक आदान-प्रदान वे$ नियमों पर संगठित होता है। बर्बर जातियों में ही लोग मात्रा अपने लिए ही जीते हैं। दूसरे शब्दों में समाज की संरचना इस प्रकार होती है, कि प्रत्येक घटक को समग्र की व्यवस्था में अपना व्यक्तिगत अंशदान देना पड़ता है। जनता की नागरिक चेतना वे$ अन्तर्गत सम्पन्न कर्तव्यों और दायित्वों में प्रतिबम्बित यह तथ्य स्वयं ही प्रमाणित हो जाता है। इस प्रकार नागरिकता का स्वरूप नागरिकों वे$ नैतिक और वैधानिक दायित्वों वे$ मिश्रण से उभरता है। निश्चय ही, देश देश वेः नगरों और गाँवों में रहने वाले समस्त वयस्कजन नागरिक कहलाते हैं। राज्य तो नागरिकों वे$ सामूहिक संकल्प की अभिव्यक्ति-मात्रा करता है। अतः राज्य की व्यवस्था और प्रशासन में प्रत्येक व्यक्ति का प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग बना रहता है। राज्य का अस्तित्व रहता है, जब प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करता और इस प्रकार का निष्ठावान नागरिक बनता है। कानून-व्यवस्था का सुप्रबन्ध करवे$ तथा अपने नागरिकों को अभिव्यक्ति की समस्त सुविधाएँ प्रदान करवे$ ही राज्य नागरिकों का कल्याण करता है।

प्रत्येक नागरिक को राज्य की ओर से वु$छ अधिकार, नागरिक स्वातन्त्राय और वु$छ प्राकृतिक अधिकार प्रदान किए जाते हैं। इसी प्रकार, प्रत्येक नागरिक वे$ द्वारा सामूहिक कल्याण वे$ लिए स्वेच्छापूर्वक अपनी सहमति राज्य को प्रदान कर देने से ही नागरिक अधिकारों को आकार मिलता है। दूसरे शब्दों में वह समग्र स्वाधीनता पाने वे$ लिए अपी व्यक्तिगत स्वाधीनता का वु$छ अंश राज्य को समर्पित कर देता है। इस प्रकार वह राज्य से अपनी और अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा की अपेक्षा रखता है, जिसकी पूर्ति राज्य पुलिस तथा सेना की सेवाओं द्वारा करता है। अतः प्रत्येक नागरिक को शान्त और सुरक्षित जीवन-यापन का अधिकार मिलता है। इसमें विवाह की स्वतन्त्राता, घर की पवित्राता तथा व्यक्तिगत सम्बन्धों वे$ अधिकार सम्मिलत है। उसे धार्मिक पूजा-वंदन तथा निजी मान्यताओं की छूट मितली है। अधिक विकसित राज्यों में नागरिकों को शिक्षा प्राप्त और रोजगार वे$ अधिकार भी होते हैं। सभी राज्यों में नागरिकों को राजनीतिक मताधिकार प्राप्त होता है। जो कि प्रजातान्त्रिाक शासन प्रणाली का आधार है। संक्षेप में नागरिकों को मुक्त तथा शान्त जीवन जीने का पूरा अधिकार होता है, जिसमें से अपने व्यक्तित्व वे$ समूचे विकास की सुविधाएँ जुटाते हैं। इन  अधिकारों पर वे$वल एक ही प्रतिबंध होता है, कि कोई भी दूसरे व्यक्ति वे$ अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

जब तक प्रत्येक नागरिक अपने राज्य और समाज वे$ प्रति कतिपय कर्तव्यों को नहीं निभाता, तब तक नागरिक अधिकारों और स्वतन्त्राता का सही अनुपालन नहीं हो सकता। प्रत्येक आधिकार वे$ अनुरूप एक कर्तव्य भी होता है, तथा उक्त कर्तव्य पालन द्वारा ही संगत अधिकार अर्जित किया जा सकता है। प्रायः लोग राज्य में सब वु$छ चाहते हैं, परन्तु तब तक ऐसा सम्भव नहीं हो सकता, जब तक नागरिक स्वेच्छापूर्वक राज्य को पूर्ण सहयोग नहीं देगें। नागरिकों को कानून व्यवस्था वे$ सम्मान तथा स्वीकृति द्वारा अपने राज्य वे$ प्रति निष्ठा होनी चाहिए। नागरिक सेवाओं वे$ बदले राज्य को उक्त निष्ठा की आशा रखने का अधिकार है। पुनः अपने कर्तव्यों वे$ पालन में राज्य को धन व्यय करना पड़ता है यह नागरिकों पर कर लगातार ही सम्भव है। नागरिकों का कर्तव्य है कि वे कर का नियमित भुगतान करें। किसी नागरिक को अपनी कर-योग्य आय छिपाकर राज्य को छलना नहीं चाहिए। नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे राज्य वे$ समस्त प्रयासें में उसको सहयोग दें। आपात स्थिति, यथा युद्धकाल, में नागरिकों को देश की सुरक्षा वे$ लिए आगे आना चाहिए हर नागरिकों को जानना चाहिए कि लोगों की सामूहिक राजभक्ति से ही राज्य सफलतापूर्वक चलता है, अन्यथा सदैव विदेशी प्रभुत्व का भय बना रहता है, जिससे राज्य की आन्तरिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाती है।

4. निम्नलिखित अंग्रेजी अवतरण का हिन्दी भाषा में अनुवाद कीजिएः

The press is a powerful instrument for moulding public opinion on various issues. We are greatly influenced by the editor's discussion of current problems. Newspapers enable us to form judgements upon situations or events of national and international importance. The press keeps a vigilant eye on the activities of the Government. Even the powerful leaders treat the press with courtesy. They consider it desirable to hold periodical conferences in order to explain and clarify their policies and plans. The press can make or mar their reputations by publishing favourable or unfavourable commnets on their activities. For this reason, most of our minsters try to keep newspaper editors to good humour.

The press has the power to bring about social reforms. It should bring to light the vicious practices in our social life. It should make the public conscious of social evils and urge the government to eradicate them. It should voice the genuine greivances of the public and insist upon their redress. It should promote social harmony. It must avoid mischeivous propaganda and destructive criticism. It should expose corruption, nepotism and high-handedness. It should tear off the mask from hypocrisy in order to reveal the truth.

5. निम्नलिखित प्रकरण का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः 20

मनुष्य समाज में रहता है और समाज से अत्यधिक प्रभावित होता है। उसका व्यक्त्वि तथा आचरण बहुत दूर तक उन लोगों द्वारा रूपायित होता है, जिनकी संगति में वह रहता है। यदि वह शराबियों, जूआरियों, चोरों और बटमरों की संगति में रहता है, वह निश्चय ही उक्त बुराइयों को ग्रहण कर लेगा। दूषणों की ओर आकृष्ट होना सुगम है। दूसरी और यदि हम सदगुनी लोगों की संगति में रहते हैं; हम उनवे$ सद्गुणों को
धारण करेंगे। विद्वानों की संगति हमें विद्वान बनाएगी। हम बुरी या अच्छी संगति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। मनुष्य मूलतः भला है और वह श्रेष्ठतर बनना चाहता है, किन्तु बुरी संगति उसे बिगाड़ सकती है, भ्रष्ट और नष्ट कर सकती है। एक सड़ा सेब दूसरे को बिगाड़ देता है। जहों तक सम्भव हो, हमें बुरी संगति से बचना चाहिए। एकांत का अपना आनन्द और लाभ है। इससे व्यक्ति सब बुरे प्रभावों से दूर रहता है। हमारा मन अपने में एक पूरा संसार है। बुरी संगति से बचने का एक अच्छा तरीका अच्छी पुस्तवें$ पढ़ने की आदत को विकसित करना है। ऐसी पुस्तवें$ ज्ञान तथा विवेक वे$ कोश है। हमारी सुखद और दुःखद मनोदशाओं में वे हमें प्रेरित करती और हमें प्रसन्नता प्रदान करती है।

6. (क) निम्नलिखित मुहावरों और लाकोक्तियों में से वे$वल पाँच का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिएः

(i) गुस्सा नाक पर रहना
(ii) आँख मैली करना
(iii) कब्र में पॉव लटकाना
(iv) तीसमारखां बनना
(v) कान पर जू न रेगना
(vi) आँखें दिखाना
(vii) जो खोदता है, वही गिरता है
(viii) रातों की नींद हराम होना
(ix) जंगल में मोर नाचा, किसने देखा
(x) धोबी का वु$त्ता, न घर का घाट का

(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच शब्द-युग्मों को वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनवे$ अर्थों का अन्तर स्पष्ट हो जाएµ 10

(i) अपेक्षा - उपेक्षा
(ii) उदार - उधार
(iii) सौत - मात
(iv) घर - मकान
(v) सज्जन - साजन
(vi) वाद - अपवाद
(vii) प्रिय - प्रिया
(viii) मुख - आमुख
(ix) मर्त्य - मृत्यु
(x) चरण - चारण

(ग) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पाँच वाक्यों वे$ शुद्ध रूप लिखिएः 10

(i) राम और श्याम बाहर खेल रहा है
(ii) मैं मेरा-कार्य समाप्त कर चुका है।
(iii) पियार और घिरणा मनुष्य-जीवन की परभावी संवेदनाए हैं।
(iv) तुमारा गांव किसका है?
(v) पाप बढ़ती है तो वर्षा नहीं नहीं होता।
(vi) कभी चांदनी की नाम सुना है।
(vii) सब चली - चलो का मेल है।
(viii) मरे राम - जलावे राम।
(ix) चक्की वे$ दो पाटन में कितना साबुत नहीं बचता
(x) मेरी रोम - रोम खील उठी

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